समानार्थी ( पर्यायवाची ) शब्द :
प्रस्तावना :
हिन्दी एक विशाल देश की राष्ट्रभाषा है । इसे संस्कृत से विराट शब्द भण्डार मिला है । अन्य भाषाओ की तरह इसमें एक वस्तु के लिए एक ही नाम नहीं , अपितु अनेकों नाम है । अवसर के अनुसार उचित शब्द को चुनकर प्रयोग करने से भाषा सुन्दर और प्रभावशाली बनती है । ' जल पीजिए ' , ' पानी पीजिए ' और ' पानी पी ' कहने में कितना अन्तर है ; महिला , नारी , स्त्री , रमणी इत्यादि शब्दों में किस शब्द का प्रयोग कहाँ उचित होगा , यह जानना चाहिए । अपनी भाषा को मधुर और रोचक बनाने के लिए समानार्थी शब्दों- पर्यायवाची शब्दों का ज्ञान अवश्य प्राप्त करना चाहिए ।
समानार्थी ( पर्यायवाची ) शब्द का अर्थ :
' पर्याय ' शब्द का अर्थ है समानार्थी शब्द । समान+अर्थी= समानार्थी समान अर्थ सूचित ( प्रकट ) करनेवाले शब्दों को ' समानार्थी शब्द ' या ' पर्यायवाची शब्द ' कहते है । कई शब्द ऐसे होते है , जिनका प्रयोग एक - दूसरे के स्थान पर हो सकता है । ऐसे शब्दों को ' समानार्थी शब्द ' या ' पर्यायवाची शब्द ' कहते है । जैसे : राम , राघव , कौशल्यानंदन , रघुपति आदि । पृथ्वी को ' धरती ' , ' वसुधा ' और ' भूमि ' कहते है । कमल को ' पद्म ' , ' सरोज ' और ' पंकज ' कहा जाता है ।
इस प्रकार के समान अर्थ प्रकट करनेवाले शब्दों को समानार्थी शब्द या पर्यायवाची शब्द कहा जाता है ।
भाषा में ऐसे कई शब्द होते हैं , जिनका अर्थ एक सा होता है । पानी को ' वारि ' , ' जल ' और ' नौर ' भी कहते है । इस तरह ' वारि ' , ' जल ' और ' नीर ' शब्द ' पानी ' शब्द के पर्यायवाची शब्द है इन शब्दों से एक ही अर्थ प्रकट होता है । एक ही पदार्थ के अलग - अलग नाम है ।
वास्तव में पर्यायवाची शब्द को शब्दार्थ भी कह सकते है , क्योंकि यह दिए हुए शब्द का अर्थ ही होता है । परंतु यह शब्दार्थ निश्चित रूप से एक शब्द द्वारा ही सूचित करना चाहिए । ' मनोहर ' शब्द का पर्यायवाची शब्द ' सुन्दर ' या ' चित्ताकर्षक होगा । इसके बदले ' मन को हरनेवाला ' या ' चित्त को आकृष्ट करनेवाला ' जैसे शब्द समूहों का प्रयोग नहीं होगा ।
पर्यायवाची शब्दों का महत्त्व :
पर्यायवाची शब्द भाषा की व्यापकता सूचित करते है । जिस भाषा में एक वस्तु , प्राणी या स्थिति को जितने अधिक पर्यायवाची शब्द होते है , वह भाषा उतनी ही अधिक समृद्ध मानी जाती है ।
निबन्ध , कहानी आदि में एक ही शब्द का बार - बार प्रयोग अच्छा नहीं लगता । यदी हमें समानार्थी शब्दो का ज्ञान हो तो हम एक ही शब्द का बार - बार प्रयोग न कर उसके पर्यायवाची ( समानार्थी शब्दों का प्रयोग कर सकते है । इससे भाषा में सुन्दरता और रोचकता आती है । इसलिए हमें समानार्थी शब्दों की जानकारी अवश्य होनी चाहिए ।
भाषा में एक शब्द के अर्थ को समझाने के लिए हम दूसरा सामने रखते है । भरोतु मे समानार्थी शब्द कभी शत - प्रतिशत समानार्थी नहीं होते । उनमें अर्थ की एक और समानता होती है और दूसरी ओर कुछ मिलता भी हर एक शब्द का अपना स्वतंत्र अर्थ होता है और अपना विशिष्ट प्रयोग होता है । पौधे कुछ समानार्थी शब्दों के अर्थ को देखेंगे ।
उदाहरण : (1) खोज : जिसका पहले से ही अस्तित्व हो ऐसी चीज को बूंदना ।
अन्वेषण : किसी नई वस्तु की शोध करना ।
उदाहरण (2)
• स्नेह : अपने से छोटों के प्रति प्रदर्शित भाव
• वात्सल्य : माता - पिता गुरुजनों का पुत्र और शिष्य के प्रति भाव ।
• अनुराग : विजातीय व्यक्ति के प्रति जागा प्रारंभिक आकर्षण का भाव
• प्रणय : प्रेमी - प्रेमिका या पति - पत्नी के बीच का भाव
• प्रेम : समवयस्क व्यक्तियों के बीच का अनुकूल भाव
• श्रद्धा : पूज्य व्यक्ति के प्रति विश्वास और आदर का मिश्रित भाव
• भक्ति : पूज्य व्यक्ति या देव के प्रति प्रबल प्रेम और श्रद्धा का मिश्रित श्रद्धा भाव
उदाहरण : ( 3 )
• पाठशाला : जहाँ संस्कृत विषय मुख्यतः सिखाया जाय ।
• शाला , स्कूल , विद्यालय सामान्य प्राथमिक या माध्यमिक शाला जिसमें सभी विषय सिखाये जाय ।
• विद्यापीठ : गाँधीविचार से सम्बन्धित उच्च शिक्षण की संस्था ।
• गुरुकुल : प्राचीन संस्कृत साहित्य और संस्कृत से सम्बन्धित शिक्षा संस्था ।
• कोलेज : आधुनिक विषय जिसमें सिखाये जाएं , ऐसी उच्च शिक्षा की संस्था , महाविद्यालय ।
• मदरेसा : जहाँ उर्दू , अरबी और इस्लाम धर्म की शिक्षा दी जाय ।
उपरोक्त प्रकार से समानार्थी शब्दों में अर्थ की समानता भिन्नता दिखाई देती है ।
निम्नलिखित वाक्यों को पढ़िए :
(1) यशोदा ने मोहन को दूध पिलाया ।
(2) कबीर के अनुसार शिष्य कुंभ के समान है ।
(3) शान दीपक के समान होता है ।
(4) एक अनल है , एक सलिल है ।
(5) मीरा भगवान के नाम को हो अपनी पूंजी मानती है ।
उपरोक्त वाक्यों में रेखांकित शब्द की जगह निम्नलिखित समानार्थी शब्द का प्रयोग कर सकते है ।
( 1 ) कृष्ण ( 2 ) घट ( 3 ) चिराग ( 4 ) अग्नि , पानी ( 5 ) संपत्ति
समानार्थी ( पर्यायवाची शब्दों के उदाहरण :
कमल : पदम, सरोज , अंबुज , शतदल , अरविंद , पंकज
आकाश : गगन , अम्बर , नभ , आसमान , व्योम
पृथ्वी : वसुधा , वसुन्धरा , धरती , धरणी , अवनि , भूमि , धरा
सूर्य : रवि भानु , भास्कर , आदित्य , मार्तंड
चन्द्र : चन्द्रमा , शशी , मयंक , निशापति , सुधाकर
फूल : कुसुन , सुमन , प्रसून , पुष्प
बादल : मेघ धन , जलद , पयोद , वारिद , तोयद , जलधर
हवा : वायु , पवन , अनिल , समिर
नदी : सरिता , तरंगिनो , निर्झरिणी
पर्वत : पहाड़ , गिरि , भूधर
संसार : जगत , विश्व , दुनिया
सागर : समुद्र , जलधि , जलनिधि , सिंधु , रत्नाकर
अग्नि : आग , पावक , अनल
वृक्ष : तरु , पेड़
रात : रजनी , निशा , शर्वरी , रैन , यामिनी , विभावरी
द्विज : पक्षी , दत , ब्राह्मण , चंद
सुन्दर : मनोहर , रमणीय , रम्य , चारू , सुहावना
पुत्री : बेटी , लड़की , सुता , तनुजा , आत्मजा
गंगा : भागीरथी , मंदाकिनी , जाह्नवी , देवनदी , सुरसरि , देवपगा
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